Mohammad Ghori Biography – मोहम्मद गौरी का जीवन परिचय और महत्वपूर्ण जानकारी
Mohammad Ghori मोहम्मद गौरी – 1173 ईस्वी में शहाबुद्दीन, महमूद ग़ज़नवी के सिंहासन पर बैठा था , शहाबुद्दीन का दूसरा नाम मोइज्जुद्दीन बिन शाम था। यही व्यक्ति मोहम्मद गौरी के नाम से जाना गया।
मोहम्मद गौरी ने भारत पर पहला आक्रमण 1175 ईस्वी में मुल्तान पर किया।
मोहम्मद गौरी ने 1178 ईस्वी में गुजरात पर आक्रमण किया जहा उसका सामना भीम सिंह (मूलराज) से हुआ और इस युद्ध में भीम सिंह ने मोहम्मद गौरी को हरा दिया और उसे बंदी बना लिया और कुछ दिन कैद में रखने के बाद उसे रिहा कर दिया। भारत में मोहम्मद गौरी की यह पहली हार थी
नोट – जिस समय मोहम्मद गौरी भारत के मुल्तान और दूसरे हिस्सों पर आक्रमण कर रहा था और उनको लूट रहा था तब उस समय 14 साल का एक युवक अजमेर की गद्दी पर बैठा जिसका नाम पृथ्वीराज तृतीय था।
पृथ्वीराज तृतीय ने बुंदेलखंड पर आक्रमण कर चंदेल के शासको को हरा दिया। यह महोबा की लड़ाई के नाम से जाना जाता है और इस लड़ाई में महोबा की रक्षा करते हुए आल्हा और उदल नामक दो भाई मारे गए थे। इन दोनों भाइयो का वर्णन भारतीय लोक गीत और लोक कथाओ में मिलता है।
मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज तृतीय के बीच लड़ाई की शुरुआत तब हुई जब दोनों ने ही भटिंडा (तवर हिन्द) पर अधिकार जमाना शुरू किया।
तराइन का पहला युद्ध (1191) – यह युद्ध मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज तृतीय के बीच में 1191 में हुआ। इस युद्ध में मोहम्मद गौरी की हर हुई और पृथ्वीराज की जीत हुई। मोहम्मद गौरी ग़ज़नी से यहाँ आक्रमण करने आया था। यह अफगानिस्तान में है और मोहम्मद गौरी की राजधानी हुआ करती थी। तराइन का दूसरा नाम तरावड़ी है जो हरियाणा के करनाल में है।
तराइन का दूसरा युद्ध (1192) – यह युद्ध मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज तृतीय के बीच ही हुआ। इस युद्ध में मोहम्मद गौरी की जीत हुई और पृथ्वीराज की हार हुई और पृथ्वीराज को सरस्वती नदी के किनारे बंदी बना लिया गया। और कई सालो तक जेल में रखा गया लेकिन बाद में अजमेर पर शाशन करने दिया गया लेकिन उसके बाद मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज को मार दिया।
मोहम्मद गौरी ने दिल्ली और अजमेर पर कब्ज़ा किया और भारत में मुस्लिम साम्राज्य की नीव डाली। मोहम्मद गौरी को ही भारत में मुस्लिम साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।
नोट – तुर्की साम्राज्य और गुलाम वंश की स्थापना कुतुबुद्दीन ऐबक ने की थी जो मोहम्मद गौरी का गुलाम था
मोहम्मद गौरी तराइन का युद्ध जितने के बाद ग़ज़नी लोट गया और अपना साम्राज्य अपने गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक को सौंप दिया।
1194 में मोहम्मद गौरी फिर भारत लौटा और 50000 घुड़सवारों के साथ यमुना नदी पर करके कन्नौज (U.P) पर आक्रमण कर दिया।
और कन्नौज के निकट चंदावर नामक स्थान पर मोहम्मद गौरी और जयचन्द के बीच युद्ध हुआ। और इस युद्ध में जय चंद की हार हुई और मोहम्मद गौरी की जीत हुई।
नोट – तराइन और चंदावर के युद्धों ने भारत में तुर्की साम्राज्य की नींव रखी।
मोहम्मद गौरी का भारत पर आखिरी आक्रमण 1206 में था। जब उसने बहुत बड़ी संख्या में खोखरो की हत्या की और उनका सामान लुटा।
मोहम्मद गौरी के सेनापति का नाम बख्तियार खिलजी था। जिसने नालंदा और विक्रमशिला विशवविद्यालय को नष्ट कर दिया था।
1194 में जब मोहम्मद गौरी ने कन्नौज ( चंदावर ) का युद्ध जीता उसके बाद मोहम्मद गौरी ने नए सिक्के बनवाये। इन सिक्को के एक तरफ देवी लक्ष्मी की मूर्ति थी और दूसरी तरफ अरबी भाषा में कलमा खुदवाया गया। कलमे में देवनागरी लिपि में मोहम्मद बिन शाम लिखवाया गया ।
नोट – मोहम्मद गौरी के 2 गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक और याल्दौज थे।
मोहम्मद गौरी के साथ सलीम मोईनुद्दीन चिस्ती भारत आया था। मोईनुद्दीन चिस्ती के नाम पर ही राजस्थान के अजमेर में एक दरगाह है जिसे दरगाह शरीफ के नाम से जाना जाता है और मोईनुद्दीन चिस्ती को भारत में चिस्ती साम्राज्य का संस्थापक माना जाता है।
मोहम्मद गौरी के साथ बख्तियार काकी भी भारत आया था जो की एक सूफी संत था। जिसके नाम से क़ुतुब मीनार बनवायी गयी ।
जब मोहम्मद गौरी वापिस ग़ज़नी जा रहा था तो दमयक नामक स्थान पर मोहम्मद गौरी की हत्या कर दी गयी 15 मार्च 1206 में।