Khilji Dynasty Founder Rulers PDF Notes – खिलजी वंश संस्थापक स्थापना (1290-1320)

Khilji Dynasty Founder Rulers – खिलजी वंश संस्थापक स्थापना (1290-1320)

हेलो दोस्तों, आप जिस किसी भी प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे है उन सब परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए ये नोट्स तैयार किये गए है आप इन नोट्स को पढ़ कर अपना सिलेक्शन पक्का कर सकते है किसी भी सरकारी नौकरी के पद के लिए। तो आइये दोस्तों शुरू करते है पढ़ाई। आज हम पढ़ेंगे Khilji Dynasty यानि खिलजी वंश के बारे में की गुलाम वंश कब से शुरू हुआ और कब तक चला और खिलजी वंश के महत्वपूर्ण शासक कौन कौन थे और खिलजी वंश में जो भी शासक हुए उनका कार्यकाल कब से लेकर कब तक था। इन सभी महत्वपूर्ण बिन्दुओं को हम विस्तार से पढ़ेंगे क्योंकि आने वाले एग्जाम में प्रश्न कही से भी पूछ सकते है तो इसलिए हमे अपनी तैयारी अच्छे से करनी है

खिलजी वंश के संस्थापक (1290-1296) – जलालुद्दीन फ़िरोज़ खिलजी , भारत में खिलजी वंश का संथापक था। इसका राज्याभिषेक 13 जून 1290 को हुआ था और यह दिल्ली सल्तनत का पहला शासक था जो हिन्दुओ के लिये अच्छा सोचता था। 

Khilji Dynasty Rulers खिलजी वंश के रुलर्स

अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316) – जलालुद्दीन खिलजी की हत्या करके 19 जुलाई 1296 को अलाउद्दीन खोलजी गद्दी पर बैठ गया था। जलालुद्दीन खिलजी इसका चाचा था और इसने अपने चाचा को मार कर गद्दी अपने नाम की थी।

अलाउद्दीन खिलजी के बचपन का नाम अली था । अलाउद्दीन खिलजी के पिता का नाम शिहाबुद्दीन खिलजी था। जो जलालुद्दीन खिलजी का भाई था।

अलाउद्दीन खिलजी की सबसे मह्त्वपूर्ण जीत चित्तौड़ की जीत थी। ये जीत (चित्तौड़ का युद्ध) 1302 से  1303 ईस्वी में हुआ था जिसमे आमिर खुसरो ने भी भाग लिया था।

अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर आक्रमण इसलिए किया था क्योकि अलाउद्दीन खिलजी की नजर वहां के राजा रत्न सिंह की पत्नी पदमावती पर थी और अलाउद्दीन खिलजी उसे प्राप्त करना चाहता था। राजा रत्न सिंह के सेनापति का नाम गौरा था। 

अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ का नाम बदलकर अपने बेटे खिज्र खा के नाम पर खिज्राबाद रख दिया। 

इसके बाद अलाउद्दीन खिलजी ने गुजरात पर आक्रमण किया। उस समय गुजरात का राजा करण देव था। राजा करण देव की पत्नी का नाम कमला देवी था और उनके सेनापति का नाम मलिक काफ़ूर था । राजा करण देव वाघेला वंश का राजा था। इस युद्ध में अलाउद्दीन खिलजी ने राजा करण देव को हरा दिया था और उसे मार भी दिया था।

अलाउद्दीन खिलजी, राजा करण देव की पत्नी कमला देवी को उठा कर अपने साथ ले गया और अलाउद्दीन खिलजी ने कमला देवी से शादी कर ली थी। और राजा करण देव के सेनापति को भी वो अपने साथ ले गया और उसको अपना सेनापति बना लिया। मलिक काफ़ूर एक किन्नर (हिजड़ा) था।

मलिक काफ़ूर को दक्षिणी भारत को जीतने का काम सौंपा गया और मलिक काफ़ूर ने तेलंगाना की राजधानी वारंगल पर आक्रमण कर दिया और वहा के राजा प्रतापरुद्र ने आत्मसमर्पण कर दिया और 1307 ईस्वी में ये सब हुआ था। और वहा के राजा प्रतापरुद्र ने 1307 ईस्वी में कोहिनूर हीरा मलिक काफ़ूर को दे दिया। और मलिक काफ़ूर ने यह हीरा अलाउद्दीन खिलजी को सौंप दिया। 

अलाउद्दीन खिलजी को मार्किट सिस्टम (बाजार प्रणाली) का जन्मदाता माना जाता है। अलाउद्दीन खिलजी ने वस्तुओ के मूल्य को लम्बे समय तक स्थिर रखा। अलाउद्दीन खिलजी ने मार्किट कण्ट्रोल सिस्टम के तहत मंडी (जहा अनाज का व्यापर होता था) और सराय ऐ अदल (जहाँ कपड़ो का व्यापर होता था) की शुरुआत की। इसके साथ साथ घोड़े – दास, मवेशी बाजार और सामान्य बाजार की व्यवस्था की।

अलाउद्दीन खिलजी के पास बहुत बड़ी सेना थी। उसके पास लगभग 4 लाख 75 हजार सैनिक थे और वो उन सबको नकद वेतन देता था। अलाउद्दीन खिलजी के सैनिक 1000, 100, 10 की टुकड़ियों में बटे होते थे और इन सैनिको के प्रमुखों को खान, मलिक, अमीर, और सिपहसलार कहा जाता था

अलाउद्दीन खिलजी ने “घोड़ो को दागने” की प्रणाली शुरू की और “सैनिको का हुलिया” रखने की प्रणाली शुरू की।

घोड़ो को दागना – उस समय अमीरो के पास, जागीरदारों के पास और जनता में भी जो अमीर था उनके पास अपने खुद के घोड़े होते थे तो ऐसे में खुद के घोड़ो की पहचान कैसे हो। तो इसके लिए उसने अपने घोड़ो की पीठ पर कुछ गरम चीज रख देता था जिससे घोड़ो की पीठ पर निशान बन जाता था जिससे वह पहचानता था की ये घोड़ो अपने है।

सैनिको का हुलिया – अलाउद्दीन खिलजी अपने सैनिको का स्केच बनाता था जिससे उनकी पहचान हो सके की ये उसके सैनिक है।

अलाउद्दीन खिलजी अपने सैनिको को 234 टका वेतन देता था प्रतिवर्ष। और इसकी सेना परमानेंट थी।

अलाउद्दीन खिलजी ने अपने समय में पुलिस व्यवस्था को भी मजबूत किया और उस समय पुलिस का मुख्य अधिकारी “कोतवाल” कहलाता था।

अलाउद्दीन खिलजी ने “डाक सिस्टम” पोस्ट ऑफिस को भी शुरू किया और राशन प्रणाली को भी शुरू किया।

अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली में अलाइ दरवाजा , सीरी का क़िला, हौज़ खास, जमातखाना मस्जिद बनवाई।

अलाउद्दीन खिलजी ने अलाइ दरवाजा, क़ुतुब मीनार में लगवाया था। अलाइ दरवाजे को पाप की राजधानी भी कहा जाता है।

कुतुबमीनार की मरम्मत फिरोज शाह तुगलक ने करवाई।

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अलाउद्दीन खिलजी को प्राप्त ख्याति या उपाधियाँ –

अमीर ऐ तुनुक, सिकंदर ऐ शानी, विश्व का सुल्तान, युग का विजेता, जनता का चरवाहा। इसमें सिकंदर ऐ शानी मोस्ट इम्पोर्टेन्ट है।

अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु 03 जनवरी 1316 को जलोदर  बीमारी के कारण हुई।

अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु के बाद मलिक काफ़ूर राजा बना 1316 में। मलिक काफ़ूर को हजार दिनारी भी कहा जाता है। क्योकि गुजरात के एक व्यापारी नुसरत खान ने उसे 1297 ईस्वी में 1000 दीनार में ख़रीदा था बाजार से। और फिर नुसरत खान ने मलिक काफूर को बेच दिया राजा करण देव को और राजा करण देव ने मलिक काफूर को अपना सेनापति बना दिया था।

मलिक काफूर के बाद क़ुतुब बुद्दीन मुबारक शाह राजा बना और उसके बाद नसीरुद्दीन खुसरो शाह राजा बना खिलजी वंश में।

खिलजी वंश पीडीऍफ़

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