Gravitational Force Definition and Formula – गुरुत्वाकर्षण बल किसे कहते है

Gravitational Force Definition and Formula – गुरुत्वाकर्षण बल किसे कहते है

हेलो दोस्तों, यहाँ पर सबसे पहले हम पढ़ेंगे की गुरुत्वाकर्षण बल क्या होता है, गुरुत्वाकर्षण बल की परिभाषा क्या है Gravitational Force Definition और गुरुत्वाकर्षण बल किसे कहते है और उसके बाद हम पढ़ेंगे की गुरुत्वाकर्षण बल का मान Gravitational Force Value या गुरुत्वाकर्षण बल का फार्मूला क्या होता है Gravitational Force Formula और गुरुत्वाकर्षण बल के नियम क्या होते है।

उससे पहले दोस्तों ये सोचों के अगर हम किसी वस्तु को ऊपर फेंकते है तो वह वापिस निचे क्यों आ जाती है, कयोंकि दोस्तों वस्तु के ऊपर से निचे आने का कारण गुरुत्वाकर्षण बल  Gravitational Force ही है। तो यह गुरुत्वाकर्षण बल  Gravitational Force क्या है और कैसे पैदा होता है और यह कैसे काम करता है आज हम इन सबके बारे में पढ़ेंगे।

गुरुत्वाकर्षण बल किसे कहते है – महान व्यक्ति न्यूटन जी के अनुसार इस संसार में एक पदार्थ का प्रत्येक कण दूसरे कण को अपनी तरफ आकर्षित करता है और इस के बीच जो आकर्षण बल लगता है उसी को गुरुत्वाकर्षण बल कहते है।

दूसरे शब्दों में हम यह भी कह सकते है की न्यूटन के अनुसार इस संसार में जितने भी पदार्थ है उन सबका एक निश्चित द्रव्यमान होता है और किन्ही भी दो पदार्थो के बीच में एक आकर्षण बल कार्य करता है और उस को ही गुरुत्वाकर्षण बल कहते है।

गुरुत्वाकर्षण बल का फार्मूला क्या होता है Gravitational Force Formula :

Gravitational Force Formula

यहाँ पर G नियतांक या Constant है और इसे Capital G भी कहा जाता है और

Capital G का मान होता है Value of Capital G:

Value of Capital G

गुरुत्व जनित त्वरण किसे कहते है – एक ऐसा आकर्षण बल जिससे पृथ्वी किसी वस्तु को अपने केंद्र की और खींचती है और इस बल के कारण जो त्वरण पैदा होता है उसे गुरुत्व जनित त्वरण कहते है या (g) कहते है और इसका मान होता है और पृथ्वी पर g का मान होता निम्नलिखित है :

गुरुत्व त्वरण

g के मान में बदलाव होता रहता है

पृथ्वी की सतह से ऊपर या नीचे जाने पर g का मान घटता है

पृथ्वी के ध्रुव Pole पर g का मान अधिकतम होता है

विषुवत रेखा Equator पर g का मान न्यूनतम होता है

पृथ्वी की घूर्णन गति बढ़ने पर g का मान कम हो जाता है

पृथ्वी की घूर्णन गति कम होने पर g का मान बढ़ जाता है

नोट: दोस्तों क्या आपको पता है की अगर धरती या पृथ्वी अपनी कोणीय चाल से अगर 17 गुणा अधिक चल से अगर घूमने लगे तो भूमध्य रेखा पर जो वस्तु रखी गयी होगी उसका मान या उस वस्तु का भार शून्य यानि जीरो हो जाएगा।

ग्रहों की गति से संबंधित केप्लर का नियम :

प्रत्येक ग्रह सूर्य के चारों और दीर्घवृताकार कक्षा में परिक्रमा करता है या चक्कर लगाता है और सूर्य, ग्रह की कक्षा के एक फोकस बिंदु पर स्थित होता है

प्रत्येक ग्रह का क्षेत्रीय वेग (Areal Velocity) नियत यानि कांस्टेंट Constant रहता है इसका प्रभाव यह होता है की जब ग्रह सूर्य के निकट होता है तो इसका वेग बढ़ जाता है और जब ग्रह सूर्य से दूर होता है तो उसका वेग कम हो जाता है

एक ग्रह, सूर्य के चारों और चक्कर लगाने में जितना समय लेता है उसे उस ग्रह का परिक्रमण काल कहते है

नोट : ग्रह सूर्य के जितना पास में होगा उसका परिक्रमण काल उतना ही कम होगा और अगर ग्रह सूर्य से दुरी पर है तो उसका परिक्रमण काल उतना ही ज्यादा होगा इसलिए सूर्य के सबसे पास के ग्रह बुध का परिक्रमण काल 88 दिन का है और जबकि सूर्य के सबसे दूर वाले ग्रह वरुण का परिक्रमण काल 165 वर्ष है

उपग्रह किसे कहते है :

किसी ग्रह के चारों और परिक्रमा करने वाले पिंड को उपग्रह कहते है, उस ग्रह का यह उपग्रह कहलाता है

उदाहरण – चन्द्रमा, पृथ्वी का एक उपग्रह है

उपग्रह की कक्षीय चाल :

उपग्रह पृथ्वी से जितना दूर होगा उसकी चाल उतनी ही कम होगी क्योंकि उपग्रह की कक्षीय चाल पृथ्वी तल से ऊंचाई पर निर्भर करती है

लेकिन उपग्रह की कक्षीय चाल उसके द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करती है इसलिए एक ही त्रिज्या की कक्षा में अलग अलग द्रव्यमान वाले उपग्रहों की चाल एक समान होती है।

पृथ्वी तल के बिल्कुल पास में चक्कर लगाने वाले उपग्रह की कक्षीय चाल 8 किमी./ सेकंड होती है

उपग्रह का कक्षीय वेग :

यदि किसी उपग्रह का कक्षीय वेग √ 2 बढ़ा दिया जाये यानि 41% बढ़ा दिया जाये तो वह उपग्रह अपनी कक्षा को छोड़कर पलायन कर जाएगा

उपग्रह का परिक्रमण काल :

उपग्रह का परिक्रमण काल भी पृथ्वी तल से ऊंचाई पर निर्भर करता है, पृथ्वी से उपग्रह जितनी दूर होगा उसका परिक्रमण काल भी उतना ही अधिक होगा

उपग्रह का परिक्रमण काल, उसके द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है

पलायन वेग किसे कहते है :

पलायन वेग, एक न्यूनतम वेग है, जिससे किसी पिंड को, पृथ्वी की सतह से ऊपर फेंके जाने पर वह पिंड गुरुत्वीय क्षेत्र से बहार हो जाता है और पृथ्वी पर वापिस नहीं आता है

पृथ्वी के लिए पलायन वेग का मान 11.2km/s होता है यानि के अगर किसी वस्तु को पृथ्वी से 11.2km/s या इससे अधिक वेग से ऊपर की तरफ फेंका जाए तो वह वस्तु फिर वापिस पृथ्वी पर नहीं आएगी।

गुरुत्वाकर्षण बल से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न :

Question 1: भू स्थिर उपग्रह (Geostationary Satellite) का परिभ्र्रमण समय या क्रान्तिक काल कितना होता है?

Answer: 24 घंटे

नोट – ये उपग्रह पृथ्वी से 36000 किलोमीटर की ऊंचाई पर विषुवत रेखा से ठीक ऊपर स्थापित किये जाते है

Question 2: वायुमंडल पृथ्वी से क्यों जुड़ा रहता है?

Answer: पृथ्वी के गुरुत्व के कारण ( पृथ्वी की ग्रेविटी के कारण)

नोट – पृथ्वी के चारों ओर गैसों के Layer का समूह होता है उसे वायुमंडल कहते है और पृथ्वी के गुरुत्व Gravity के कारण गैसों के ये Layer

पृथ्वी से जुड़े रहते है

Question 3: गुरुत्वाकर्षण बल के नियम को सबसे पहले किसने परिभाषित किया?

Answer: न्यूटन ने

Question 4: अंतरिक्ष यात्री द्वारा अंतरिक्ष यान से अगर कोई वस्तु बाहर फेंकी जाये तो उस वस्तु की गति क्या होगी?

Answer: उस वस्तु की गति, अंतरिक्ष यान की गति का अनुसरण करेगी

नोट – जितनी यान की गति होगी उतनी ही गति उस वस्तु की होगी

Question 5: गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र की तीव्रता पृथ्वी पर कहाँ सबसे अधिक होगी?

Answer: ध्रुवों पर

 

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